मशहूर सिंगर और एक्टर किशोर कुमार की जयंती के मौके पर 4 अगस्त को खंडवा जिले का गौरव दिवस ...
On the versatile and beloved Kishore Kumar's birth anniversary, here's looking at the indelible mark he left in Indian cinema with his many movies.
In one of his earlier appreciated works, New Delhi, Kishore Kumar showed the naysayers what he was capable of as a leading man. Since the choreographer was absent at the time, Kishore Kumar apparently volunteered for the job! Then there was of course, the 1954 release Naukri, the socio-political feature directed by Bimal Roy. In Naukri, Kishore Da displayed his dramatic flair, which was aplenty. Chalti Ka Naam Gaadi perhaps attracted more attention in this list of movies, because it had appearances by all the three Ganguly brothers — Ashok, Kishore and Anoop. In the following decade, Kishore appeared in over 20 movies, out of which at least 15 were duds. A wonderful, talented singer and is probably regarded among the top artistes in his field in the entire subcontinent.
Bollywood singer kishore kumar Birth anniversary हिंदी फिल्म जगत के महान अभिनेता व गायक किशोर कुमार का ...
Kumar was born on August 4, 1929, in Khandwa, Madhya Pradesh. He gave voice to several generations of leading men including Dilip Kumar, Rajesh Khanna, Amitabh ...
‘Mere Samne Wali Khidki Mein’ from 1968’s Padosan is that song for many even today. He was an actor and director, but it is his legendary voice that he is best remembered for. Kishore Kumar was a master of many trades.
हिंदी सिनेमा जगत में कभी सुरीली आवाज़ की बात होती है, तो सबसे पहला नाम जुंबा पर किशोर ...
kishore kumar ghar किशोर कुमार लता मंगेश्कर kishore kumar ki wife kishore kumar kon hai kishore Kumar kisse kishore kumar ke gaane
Kishore Kumar Birth Anniversary:Born on August 4, 1929, Kishore Kumar is the name of Indian music industry's face which does not need any introduction.
Sung by Kumar, the song was released in 1969 and was from the movie Aradhana. The number shows Khanna following Sharmila Tagore in a jeep, when she is sitting in a train. The song has the capacity to stay with whoever listens to the song. The voice of Kumar has given life to each and every word of the melodious number. A 1972 movie Amar Prem’s philosophical number has the power to take the listener in a different world. The soulful number is filmed on Sanjeev Kumar and Suchitra Sen. The song perfectly describes the situation of two people who are separated from each other due to circumstances. The black and white song is perfect for the situation described in the lyrics.
Kishore Kumar Facts: किशोर कुमार (Kishore Kumar) ने वार्डन रोड स्थित अपने फ्लैट पर बोर्ड लगवाया था, ...
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो किशोर कुमार ने डायरेक्टर को हाथ पर काट लिया, अचानक ऐसा होता देख एसएच रवैल चौंक गए और उन्होंने इसकी वजह पूछी. जिसपर किशोर कुमार ने कहा, ‘क्या तुमने फ़्लैट पर लगा बोर्ड नहीं पढ़ा जिसपर लिखा था -किशोर से सावधान’. असल में इस शख्स ने किशोर कुमार से कहा था कि, ‘तुम्हारा भाई हीरो है तो क्या तुम भी बन जाओगे ? अपनी शक्ल देखो और अपने भाई की शक्ल देखो, तुम कभी हीरो नहीं बन सकते’. कहते हैं इस बात का अशोक कुमार (Ashok Kumar) को बहुत बुरा लगा था और कुछ समय बाद जब इसी शख्स ने किशोर कुमार के साथ फिल्म बनाना चाही तो उन्होंने इसके साथ काम करने से साफ़ मना कर दिया था. Kishore Kumar Birth Anniversary: बॉलीवुड के चर्चित प्लेबैक सिंगर और एक्टर किशोर कुमार (Kishore Kumar) की आज 4 अगस्त को बर्थ एनिवर्सरी है. 4 अगस्त 1929 को किशोर दा का जन्म मध्यप्रदेश के खंडवा में हुआ था. वैसे तो किशोर कुमार से जुड़े ढ़ेरों किस्से आज भी सुने और सुनाए जाते हैं लेकिन हम आपको एक्टर से जुड़े कुछ सबसे चर्चित किस्से सुनाने जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो किशोर कुमार अपने बड़े भाई अशोक कुमार की तरह हीरो बनना चाहते थे. हालांकि, उन्हें मौक़ा नहीं मिल पा रहा था, कहते हैं कि इस बीच अशोक कुमार ने किशोर कुमार को एक शख्स के पास भेजा. इस शख्स ने किशोर कुमार से कुछ ऐसा कह दिया था जिसकी टीस किशोर कुमार कभी भुला नहीं पाए थे.
किशोर कुमार (Kishor Kumar) की प्रोफेशनल जिंदगी से कम दिलचस्प उनकी व्यक्तिगत जिंदगी नहीं रही ...
आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी किशोर कुमार की निजी जिंदगी भी अक्सर सुर्खियों में रहा करती थी. किशोर कुमार को जितना उनकी फिल्मों और गायिकी के लिए याद किया जाता है उतना ही उनकी शादीशुदा जिंदगी के लिए भी किया जाता है. किशोर कुमार ने चार शादियां की थी. पहली शादी 1951 में की और चौथी शादी 1980 में की. पहली वाइफ रुमा गुहा ठाकुरता थीं. दूसरी शादी मधुबाला से हुई और तीसरी शादी योगिता बाली से हुई. किशोर ने चौथी शादी लीना चंदावरकर से की थी. किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार अपने जमाने के दिग्गज कलाकार थे. किशोर को फिल्म इंडस्ट्री में लेकर भाई अशोक ही आए थे. उसी भाई से कंपीटीशन करने की ठान ली. कहते हैं कि किशोर कुमार को धुन सवार हो गई कि उन्हें अपने भाई से अधिक पैसे कमाने हैं तो अपना सपना पूरा करके दम लिया. किशोर अपने जमाने के सबसे अधिक फीस लेने वाले सिंगर-एक्टर माने जाते हैं. किशोर कुमार कितने बड़े सिंगर थे इसका अंदाजा इसी से लगा लीजिए कि लड़की की आवाज में गा लेते थे. उनके फेमस गानों में से एक गाना ‘एक लड़की भीगी भागी सी’ में किशोर ने लड़की की आवाज दी थी. किशोर कुमार एक बेहतरीन सिंगर होने के साथ-साथ शानदार एक्टर भी थे. मस्तमौला किस्म के इंसान किशोर ने फिल्मों में भी अपनी शर्तों पर काम किया और सुपरहिट करवाया. 1946 में फिल्म ‘शिकारी’ से इंडस्ट्री में कदम रखा, इस फिल्म में अशोक कुमार लीड एक्टर थे. अपने सिंगिंग के सफर में लगभग 15 सौ गाना गाने वाले किशोर ने कई सदाबहार गाने दिए हैं. कहते हैं कि किशोर कुमार की गायकी इतनी वर्सेटाइल थी कि अपने खास अंदाज से कई बार म्यूजिक डायरेक्टर्स को भी हैरान कर देते थे. किशोर की गायिकी पर इतनी बारीक पकड़ थी कि अक्सर बिना प्रैक्टिस के ही रिकॉर्डिंग करवाते थे और उनकी काबिलियत ऐसी कि बिना किसी गड़बड़ के एक ही टेक में ओके भी हो जाता था. किशोर कुमार (Kishor Kumar) का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था और इनके माता-पिता ने इनका नाम आभास कुमार रखा था. जब किशोर फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बने तो इनका नाम किशोर रखा गया. किशोर कुमार की आवाज ईश्वर से मिला तोहफा था. किशोर ने फिल्मों में आने से पहले कभी भी म्यूजिक की ट्रेनिंग नहीं ली थी. किशोर के बड़े भाई अशोक ने एक बार मीडिया से बात करते हुए बताया था कि किशोर की आवाज बचपन में फटे बांस की तरह थी. लेकिन किशोर कुमार ने जब गाना शुरू किया तो लोगों को दीवाना बना दिया.
Kishore Kumar Birthday: किशोर दा को बॉलीवुड में एक वर्सिटाइल आर्टिस्ट के तौर पर जाना जाता है.
किशोर कुमार ने बतौर एक्टर अपनी संजीदा एक्टिंग और शानदार कॉमिक टाइमिंग से लोगों का खूब मनोरंजन किया है. फिल्म 'चलती का नाम गाड़ी' और 'पड़ोसन' किशोर दा की कल्ट फिल्मों में से एक है. किशोर कुमार के लिए सिंगर मोहम्मद रफी ने भी अपनी आवाज दी थी. फिल्म 'रागिनी' और 'शरारत' जैसी फिल्मों के लिए मोहम्मद रफी किशोर कुमार की आवाज बन गए थे, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मोहम्मद रफी ने इन फिल्मों में गाने के लिए कोई भी फीस नहीं ली थी. डीएनए हिंदी: Kishore Kumar Birthday: एक ऐसा फनकार जिसके हुनर को अपनी जिंदगी में उतारने की लालसा में बॉलीवुड की अगली कई पीढ़ियां खप गईं. लेकिन उस जैसा फनकार नहीं बना और न ही बन पाएगा. किशोर कुमार एक ही थे और एक ही रहेंगे. कहते हीरे की परख जौहरी ही करता है. ठीक वैसे ही किशोर कुमार जैसे नायाब हीरे की परख सचिन देव बर्मन जैसे सुरों के जादूगर ने ही की. राहुल देव बर्मन की तरह एसडी बर्मन के लिए किशोर कुमार दूसरे बेटे की तरह थे. किशोर कुमार भले ही बॉलीवुड में एक हीरो के तौर पर अपना करियर संवारना चाहते थे, लेकिन दुनिया उन्हें सिंगर के तौर पर ज्यादा याद करती है. आज के ही दिन खंडवा, मध्य प्रदेश में साल 1929 में जन्मे किशोर कुमार ने फिल्म 'शिकारी' से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की.
Not Many know that Kishore Kumar had never received any vocal training and sang in many Indian languages, and also that his real name is Abhas Kumar Ganguly ...
He sang the male and female parts in a few songs. Yes, this is right, it happened because he was asked to perform on the radio, but he declined to sing. It is said that Ashok Kumar forced Kishore to start acting because the singer had no interest in theatre.
MP News: किशोर दा ने अपने पूरे करियर में 110 संगीतकारों के साथ काम किया और 2678 फिल्मों में ...
कहते हैं कि किशोर ने कभी संगीत की तालीम नहीं ली, उनकी आवाज उन्हें ईश्वर से मिला वरदान था. अशोक कुमार शुरुआत में एक्टिंग करना नहीं चाहते थे लेकिन अपनी इच्छा के विपरीत उन्होंने इसलिए एक्टिंग करना जारी रखा ताकि किशोर को काम मिलता रहे. अशोक जिस फिल्म में काम करते थे किशोर को उस फिल्म में गाने का मौका मिल जाया करता था. साल 1948 में उन्होंने पहली बार फिल्म 'जिद्दी' में देवानंद के लिए गाना गाया था. इसके बाद किशोर कुमार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 1969 में आई फिल्म आराधना के जरिए किशोर कुमार गायकी की दुनिया के बेताज बादशाह बने. किशोर कुमार का जब मुंबई से दिल भर गया तो उनका मन वापस खंडवा में बसने का हुआ, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. वह मायानगरी से लौट नहीं पाए और उससे पहले ही दुनिया छोड़ गए. किशोर दा की आखिरी इच्छा के अनुसार उन्हें खंडवा लाया गया और यहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया. मध्य प्रदेश के खंडवा में 4 अगस्त 1929 को एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में अधिवक्ता कुंजी लाल गांगुली के घर जब इस बालक का जन्म हुआ तो कौन जानता था कि कुंजी लाल का परिवार इसी बालक के नाम से जाना जाएगा. कुंजीलाल ने इस बच्चे का नाम आभास कुमार गांगुली रखा. आभास केएल सहगल के गानों से खासा प्रभावित थे. उन्हीं की तरह बनना चाहते थे. केएल सहगल से मिलने के लिए किशोर 18 साल की उम्र में मुंबई पहुंचे, लेकिन सहगल से मिलने की उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकी. उस समय तक उनके बड़े भाई अशोक कुमार बतौर अभिनेता इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना चुके थे. अशोक कुमार चाहते थे कि किशोर एक्टर बने, लेकिन किशोर को संगीत का शौक था, उन्हें गायक बनने की चाह थी. किशोर दा ने 110 संगीतकारों के साथ काम किया और 2678 फिल्मों में गाने गाए. उन्होंने करीब 88 फिल्मों में बतौर एक्टर भी काम किया था. प्लेबैक सिंगर के तौर पर उन्हें 8 फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले थे. यही नहीं फिल्म में उनके योगदान को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने साल 1997 से उन्हीं के नाम पर 'किशोर कुमार अवॉर्ड' की शुरूआत की थी. किशोर दा के गानों की दीवानगी का आलम आज भी ये है कि आज की फिल्मों में उनके गानों को रीमेक किया जाता है. अपने करियर की शुरुआत में किशोर ने अपनी गायकी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन बाद में उन्होंने अपनी गायकी से ऐसी अमिट छाप छोड़ी की सभी उनके दीवाने हो गए. मैं किशोर खंडवा वाला... ये किशोर कुमार का अपनी जमीन से लगाव ही था की वो अपने कार्यक्रम की शुरुआत में अपना परिचय इसी तरह देते थे. यही नहीं कई फिल्मों में भी उन्होंने अपने निवास स्थान खंडवा का जिक्र किया. वे अपने घर का पता भी बताते थे. एक फिल्म में उन्होंने कहा था कि दूध जलेबी खाएंगे, खंडवा में बस जाएंगे. Bhopal News: गायक किशोर कुमार को गुजरे हुए आज पूरे 35 साल हो गए. किशोर दा तो इस दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन वह अपनी आवाज के दम पर अपने चाहने वालों के जेहन में आज भी जिंदा हैं. उनके 93वें जन्मदिन पर पर आइए जानते हैं किशोर दा से जुड़ी कुछ रोचक बातें...
Kishore Kumar Birthday Special Know some interesting facts of veteran actor and singer Kishore Sahab किशोर कुमार न सिर्फ पेशेवर तौर ...
किशोर कुमार का फ़िल्मी करियर जब तेजी से चल रहा था, उस समय उन्होंने ज़रूरत से ज्यादा ...
किशोर ने चार शादियां कीं. और ये चार नंबर किशोर के साथ काफी जुड़ा भी रहा. घर में चार भाई बहनों में चौथे नंबर के आभाष कुमार गांगुली ने एक्टिंग भी की. देव आनंद की पहली फिल्म के लिए जहां वो एक तरफ उनकी आवाज़ भी बने तो एक सीन में उन्होंने माली का किरदार भी निभाया. इस किरदार पर अशोक कुमार ने एक बार बात करते हुए बताया कि जब किशोर को यह मालूम हुआ था कि ये सीन रीक्रिएट किया जाएगा तो वो सेट से भाग गया था. इस सीन में हमने किशोर से एक छोटा रोल करने को कहा, कि तुम बस एक सीन में आओगे और बस ऐसे ही कुछ भी बोल देना, तो किशोर ने इस सीन में थोड़ा बहुत बोलकर बिना आवाज़ के गालियां भी दे दी थीं. यह फिल्म थी- जिद्दी. किशोर एक पैदाइशी कलाकार थे और उतने ही मस्तीखोर भी. प्यार के मामले में किशोर कुमार एकदम बच्चे से रहे, जिस पर प्यार आया उससे कह दिया. लेकिन एक दौर ऐसा भी आया कि उनके एक इकरार और फिर उसके बाद उठाए गए एक कदम के बाद उन्हें मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा. ये बात तब की है जब उनके जीवन में रूमा देवी आईं. किशोर, रूमा से प्यार कर बैठे और उनसे शादी भी कर ली. इस बात ने उनके जीवन में भूचाल ला दिया था. बड़े भाई अशोक कुमार को जैसे ही इस बात का पता चल तो उन्होंने किशोर को ना सिर्फ घर से निकाल दिया बल्कि उन्हें फिल्म स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज़ से भी निकलवा दिया. ये सबसे बुरा दौर था, जब सबसे ज्यादा प्यार करने वाला बड़ा भाई अपने भाई को घर से निकाल दे. सेट पर शूटिंग का एक किस्सा है जिसमें उन्हें शूटिंग के दौरान उन्हें कार स्टार्ट कर के फ्रेम से IN और OUT होना था. डायरेक्टर ने जैसे ही ACTION कहा तो किशोर कार लेकर निकले, लेकिन वो फिर सीन ही नहीं शूटिंग सेट से भी आउट हो गए. उन्हें ढूंढा गया कि किशोर कहां चले गए तो किशोर ने सेट पर तीन घंटे बाद ये सूचना पहुंचाई कि आपने CUT तो बोला ही नहीं इसलिए मैं पनवेल निकल आया. एक मदमस्त कलाकार जिसके जैसा ना पहले कभी हुआ और ना शायद अब कभी होकर अपनी कार लेकर संको हंसाते हुए हमारी आंखों के सामने से गुज़र गया. पीछे कुछ बाकी है तो उनके प्लान किये के हिसाब से हंसती खेलती बातें, वो हमेशा यही चाहते भी रहे कि कहीं कुछ बुरा ना रह जाए. किशोर कुमार हमारे दिलों में हमेशा ये खूबसूरत याद की तरह बने रहेंगे. जब भी मन उदास हुआ तो उनके युडली गुनगुना लेंगे. किशोर कुमार के जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर गौर करने पर मिलता है कि वो अक्सर अपने सेट से गायब होकर कहीं चले जाते थे, शूटिंग छोड़ जाते थे, किसी के साथ रिश्ते में भी कई बार वो अलग होकर उस जगह से उठकर चले जाते थे. ये यूं अचानक चले जाना उन्हें सबसे ज्यादा भाता था. लता मंगेशकर के साथ एक बार बातचीत में उन्होंने अपने इस नेचर के बारे में बात भी करते हुए कहा था कि वो किसी को दुःख नहीं पहुंचाना चाहते. जब सब कुछ बेहतर चल रहा होता है तो मुझे लगता है कि शायद यही वो सही समय है जब उठकर चले जाना चाहिए. मैं वहां से उठकर चला जाता था, या अभी भी छोड़ सकता हूं. मैं नहीं चाहता कि जब सब बहुत अजीब और दुखी सा हो जाए तब जाया जाए. हमेशा एक अच्छी याद रहनी चाहिए. उनके कई गानों में उनकी इस बात की झलक भी मिली कि जीवन को लेकर वो हमेशा आगे की तरफ़ बढ़े. ये मानकर कि ज़िंदगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम, वो फिर नहीं आते. एक बेहतरीन कलाकार और एक बेहतरीन शख्सियत किशोर कुमार किसी भी फिल्म के सेट या फिर गानों की रिकॉर्डिंग के दौरान स्टूडियो की जान हुआ करते थे. उनके किस्सों को बताते हुए एक बार आशा भोंसले ने जिक्र किया था कि वो अक्सर एक 'मानस बच्चे' के साथ फिल्म के सेट पर या स्टूडियो में आया करते थे. वो जैसे ही सेट में घुसते तो वो एक इमैजिनरी बच्चे का हाथ पकड़े हुए आते थे. सबके सामने बच्चे से नमस्ते करने को कहते और खुद ही बच्चों की आवाज़ में जवाब देते. कई कई बार तो जब गानों की रिकॉर्डिंग हो रही होती तो वो बच्चे की आवाज़ में बोल उठते कि ये कैसा बकवास गाना है और फिर अपनी आवाज़ में कहते चुप चुप ऐसा नहीं कहते. उनकी इस आदत के साथ हम सभी इतना घुल मिल गए थे कि कई बार उनके उस इमैजिनरी बच्चे के हाल चाल भी पूछ लेते थे. भूपिंदर सिंह: राहों पे नज़र रखना, होंठों पे दुआ रखना...आ जाए कोई शायद, दरवाज़ा खुला रखना कई बार रिकॉर्डिंग के दौरान जब वो अपने साथ से कोड वर्ड में पूछ लेते थे कि हां भाई चाय पी की नहीं (मतलब पेमेंट हुई कि नहीं) तो इस पर अगर जवाब आए जी दादा, चाय पी ली बहुत गर्म थी तो किशोर स्टूडियो में समां बांध देते थे. लेकिन उन्हें जब जवाब में यह सुनने को मिलता कि नहीं दादा अभी चाय नहीं पी... चाय बस आ रही है. तो किशोर स्टूडियो में बिगड़े सुरों से माहौल बिगाड़ देते थे. हालांकि ऐसा भी नहीं था कि किशोर पैसों के लोभी हों, वो बस अपनी कला को मुफ्त या कम कीमत में करने से कभी राजी नहीं हुए. उन्हें लगता था कि एक कलाकार को उसका मेहनताना मिलना चाहिए, उतना तो ज़रूर कि जितना उसका और उसकी कला का हक है. लेकिन राजेश खन्ना की एक फिल्म 'अलग-अलग' के लिए किशोर ने सिर्फ एक रुपए लेकर भी गाने गाए. हालांकि वो लता मंगेशकर की फीस से हमेशा एक रुपया कम लिया करते थे. ये उनका मनमौजी स्वभाव ही था कि इंदिरा गांधी की सरकार के दौर में उन्होंने सरकार के लिए किसी भी गाने या जिंगल को गाने से मना कर दिया. जिसका भुगतान उन्हें ऑल इंडिया रेडियो पर बैन होकर चुकाना पड़ा. लेकिन किशोर एक ऐसे शख्स थे जिन्हें अगर फर्क नहीं पड़ा था फिर चाहे जो हो जाए उन्हें फर्क नहीं ही पड़ेगा. वो टस से मस नहीं होने वाले. समाज की परवाह ना करने वाले किशोर कुमार का गाया हुआ गाना आज भी लोगों को हिम्मत देता है- कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना... कुंदन लाल सहगल को अपना गुरु मानने वाले किशोर उन्हीं के गाने गुनगुनाया करते थे. केएल सहगल और किशोर से जुड़ा एक किस्सा है कि एक बार हारमोनियम लेकर बैठे किशोर को देख उनके बड़े भाई दादा मुनि ने उनसे कुछ गानों की फरमाइश कर दी. उन्होंने कहा कि ए बाबू मोशाय, कोई गाना वाना सुनाओ ना. एकदम ख़ुशनुमा माहौल में कही गई इस बात को किशोर के जवाब ने और भी मज़ेदार बना दिया. किशोर ने कहा गाना तो मैं सुना दूंगा, लेकिन सहगल के गाने का पांच आना लूंगा. इस पर दादा मुनि ने कहा कि पांच आना, अच्छा तो मेरे गानों को गाने का कितना लेगा. किशोर बोले आपका कोई भी गाना एक आने में सुना दूंगा. मंदाकिनी: 80 के दौर में बोल्ड सीन, दाऊद से रिश्ते और मुंबई धमाकों में पूछताछ... अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में एक खुलासा करते हुए बताया था कि किशोर की आवाज़ हमेशा से इतनी बेहतरीन नहीं रही. बल्कि ये एक हादसे की वजह से निखर गई. अशोक कुमार के मुताबिक बचपन में किशोर की आवाज़ काफी ख़राब थी. उनका गला बैठा हुआ था, खांसते रहते थे. लेकिन एक बार उनके जीवन में एक ऐसा हादसा घटा जिसने किशोर की दुनिया जैसे एकदम से उलट दी थी. दादा मुनि की मानें तो एक बार छोटे आभाष यानी कि किशोर अपनी मां के पास किचन में जब भागकर पहुंचे तो वहां रखी दराती पर उनका पैर पड़ गया जिसकी वजह से उनके पैर की एक उंगली बुरी तरह कट गई. जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टर ने उनकी मरहम पट्टी तो कर दी, लेकिन किशोर को चोट की वजह से काफी दर्द रहा. दर्द के चलते किशोर काफी रोते रहते थे. किशोर तकरीबन 20 दिन तक रोते रहे और उनके बेहद रोने की वजह से उनके गले में बदलाव आ गया. उनकी आवाज़ में एक अलग ही खनक आ गई. इसे ऐसे समझ लीजिये कि बेहिसाब रोने से उनका रियाज़ हो गया. अक्सर ऐसा होता है कि हम जो हैं उसे छोड़कर कुछ और हो जाना चाहते हैं. हम यह जानने में मेहनत ही नहीं करते कि आखिर हमारी मिट्टी कौन सी है. लेकिन जो जान जाते हैं की उनकी सामर्थ्य क्या है, वो कमाल करते हैं. जैसे किशोर ने किया कि उनका नाम इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में दर्ज है. किशोर गा सकते हैं, इस बात को लेकर उनके बड़े भाई दादा मुनि यानी कि अशोक कुमार में कॉन्फिडेंस था. इसीलिए उन्होंने एक दिन किशोर को एक हारमोनियम लाकर दिया और ये कह दिया कि अब तुम खूब गाओ और बजाओ. किशोर तो जैसे ख़ुशी से झूम उठे थे. पढ़ाई-लिखाई को लेकर आभाष कुमार गांगुली यानी कि किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनका सबसे लाडला और छोटा भाई किशोर पढ़ाई का बड़ा चोर है. किशोर ने कभी इस बात का बहुत भार नहीं उठाया कि उनका पढ़ने में मन नहीं लगता, बल्कि वो उन दिनों बड़ी बड़ी थ्योरी भी ट्यून कर लेते थे. उनकी याद में उनके सब्जेक्ट से जुड़ा जो कुछ भी मौजूद था, सब की कोई ना कोई धुन थी. ऐसे में ये तो साफ़ था कि किशोर सीखे हुए सिंगर नहीं थे, वो सिंगर बने नहीं, बल्कि वो एक सिंगर थे. उन्हें बस वक़्त ने तराशा. Mumtaz: वो दौर जब A ग्रेड फिल्मों के लिए तरस रही थीं बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर क्वीन... 'दुखी मन मेरे सुन मेरा कहना... जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना' साल 1956 में आई फिल्म फंटूश का यह गाना साहिर लुधियानवी ने लिखा था, और फिल्म में इसे आवाज़ किशोर कुमार ने दी थी. साहिर का यह गाना फिल्म के लिए था, लेकिन स्टूडियो में रिकॉर्ड करते हुए किशोर कुमार इसे अपने लिए लिखा हुआ मानकर गा रहे थे. किशोर का जीवन भी इसी पंक्ति पर चला, उन्हें जहां ज़रा भी दुःख मिला, उस जगह से चले गए. छोड़कर जाने के तमाम किस्से लिए किशोर कुमार की कहानी बेहद अल्हड़ रही. एक मस्तमौला आदमी जिसने फ़िक्र को कभी यह मौक़ा नहीं दिया कि वो किशोर के गले में उतर कर उनके सुर बिगाड़ दे. मध्य प्रदेश के खंडवा में जन्म लेने वाले किशोर को यह शायद यह 'आभास' भी नहीं हुआ होगा, कि खंडवा से दूर कहीं एक दुनिया उनका इंतज़ार कर रही है. स्कूल जाते समय जी चुराता हुआ एक बच्चा यही सोचता रहता था कि ना जाने कब इस सब से छुट्टी मिलेगी.
kishore kumar birth anniversary- किशोर कुमार के जन्म दिवस के मौके पर प्रस्तुत है उनसे जुड़े दिलचस्प ...
आज भी खंडवा स्थित उनके बंगले को देखने लोग पहुंच जाते हैं। इस बंगले का नाम है गांगुली सदन। जर्जर हो चुके इस बंगले में प्रवेश करते ही ऐसा आभास होता है कि किशोर यहीं-कहीं है और गुनगुना रहे हैं। हालांकि अब यह बंगला बेच दिया गया है। किशोर दा के बचपन से जुड़ी चीजें आज भी बंगले में रखी हुई हैं। जिस कमरे में किशोर दा का जन्म हुआ था, वह पलंग आज भी रखा हुआ है। जो धूल खा रहा है। प्रथम तल पर जाने के लिए लकड़ी की सीढ़ियां बनी थी, जो क्षतिग्रस्त हो गई है। बंगले के आसपास के दुकानदार खराब सामान यहीं पटक जाते हैं। हालांकि किशोर कुमार का यह बंगला अब बेच दिया गया है। नगर निगम के रिकॉर्ड में किशोर कुमार का बंगला उनके पिता कुंजीलाल गांगुली के नाम पर है। बंगले पर करीब 42 सालों से चौकीदारी करने वाले बुजुर्ग सीताराम बताते हैं कि कई बार मुंबई मे रहने वाले किशोर के परिजनों को बंगले का रखरखाव करने के लिए सूचना दी जाती गई, लेकिन किसी ने भी रुचि नहीं ली। कुछ माह पहले जब बंगले की दीवार गिरने की सूचना भेजी गई तो वहां से कहा गया कि गिर जाने तो। बांबे बाजार स्थित इस बंगला 7655 वर्ग फीट में बना हुआ है। एक जिंदादिल किशोर कुमार की यह इच्छा थी कि खंडवा में अपनो के बीच और मालवा की संस्कृति के बीच बंस जाऊं। लेकिन, यह नहीं हो पाया। किशोर के चाहने वाले आज भी कहते हैं कि यदि वे होते तो बात ही कुछ ओर होती।
Born on August 4, 1929, in Khandwa, Madhya Pradesh, he gave voice to several generations of leading men including Dilip Kumar, Rajesh Khanna, ...
Starring Sharmila Tagore and Rajesh Khanna, the song features the much-loved actors’ unparalleled chemistry that left the audiences swooning. Also, the music maestro was enriched with the mastery of crooning romantic, peppy and soft tracks that has left a lasting impact on the Hindi film industry and Indian audiences. This is not the first time that the TMC has been hit by a scandal.
Kishore Kumar Birth Anniversary: हिंदी सिनेमा का नाम आते ही कुछ आवाजें लोगों के जहन में गूंजने लगती ...
किशोर कुमार को अपने जन्मस्थान खंडवा से काफी लगाव था. किशोर कुमार की जयंती और पुण्यतिथि ...
Channel No. 658 Channel No. 307 Channel No. 320 Channel No. 524
Kishore Kumar was born on August 4, 1929. In an old interview, the late singer and actor's son, Amit Kumar, recalled his fourth marriage and said his father ...
In an old interview with Rediff, Kishore Kumar’s son Amit Kumar (from his first marriage), spoke about his father’s relationship with Leena. He said, “With Leena Chandavarkar, Baba (father) finally found happiness… I still remember going to Carter Road (in Mumbai) and calling Kishore ji. Kishore Kumar and Madhubala’s marriage was the most talked-about one in Bollywood. After her death in 1969, Kishore married for the third time in 1976. Kishore Kumar was one of the most versatile stars of Bollywood; apart from being a singer and an actor, he was also a screenwriter, director, producer and music composer. In a 2002 interview, his son, singer Amit Kumar, spoke about his father’s marriage with Leena Chandavarkar, one of the most sought-after actors of the time, and recalled Kishore being ‘finally’ happy. Kishore Kumar was one of the most iconic celebs in Bollywood. August 4 marks his 93rd birth anniversary.
Known primarily for his gifted, effortless, and vibrant singing, he was actually a complete entertainment package in Hindi films — being also an ...
Short of money, he hits up on the expedient of impersonating a minor to get concession on his railway ticket but gets ensnared into the machinations of a suave diamond smuggler (Pran). The rest of the film deals with how he gets out of this sticky situation. “Apna Haath Jagannath” (1960) – Akin to “Naukri”, this stresses the dignity of labour with Kishore Kumar playing Madan with a rare blend of tomfoolery, sensitivity and empathy. “Half Ticket” (1962) – This has Kishore Kumar playing (yet another) indolent son of a millionaire but storming out of house after a spat. “Musafir” (1957) – The directorial debut of Hrishikesh Mukherjee, the story is told through the medium of a house which hosts three sets of tenants, one after the other – and a mysterious violinist is a connecting link. Persuaded by his mother to get a proper job, Kishore Kumar Sharma (our hero) goes to Bombay and falls in love with Asha (Nutan). However, her uncle running a factory making spurious medicines, has had a malefic influence on his life and now seeks to target him. “New Delhi” (1956) – This was also another look at the new India, through the prism of its wide diversity – and with some contemporary resonances.
Kishore Kumar was born on August 4, 1929. In an old interview, the late singer and actor's son, Amit Kumar, recalled his fourth marriage and said his father ...
Kishore Kumar and Madhubala’s marriage was the most talked-about one in Bollywood. After her death in 1969, Kishore married for the third time in 1976. In an old interview with Rediff, Kishore Kumar’s son Amit Kumar (from his first marriage), spoke about his father’s relationship with Leena. He said, “With Leena Chandavarkar, Baba (father) finally found happiness… I still remember going to Carter Road (in Mumbai) and calling Kishore ji. Kishore Kumar was one of the most iconic celebs in Bollywood. August 4 marks his 93rd birth anniversary. In a 2002 interview, his son, singer Amit Kumar, spoke about his father’s marriage with Leena Chandavarkar, one of the most sought-after actors of the time, and recalled Kishore being ‘finally’ happy. - Kishore Kumar was born on August 4, 1929.
Late legendary singer Kishore Kumar needs no introduction. Known for his melodious voice and soulful compositions, Kishore Kumar.
This beautiful song from the 1974 film ‘Ajnabee’, continues to be a couple’s favourite track. R.D Burman was the music director of the song while lyrics were penned by Majrooh Sultanpuri. It’s one of the most loved romantic numbers of all time and remains to be a classic hit.
फूलों से महकी किशोर कुमार की समाधि, कई प्रदेशों से पहुंचे फेन | Khandwa News | Patrika News.
As film folklore has it, even elder brother Ashok Kumar was sceptical of his ability to deliver the emotion required for serious songs. Composer Chitragupt had ...
It says something that the protagonist in Door Wadiyon Mein Kahin is a Muslim (the climax has a beautifully understated sequence where Aslam offers namaz while the police officer waits to arrest him), while Christians are pivotal characters in two of these films. He travels to the nearby town for his higher studies and it is here that he comes in contact with a man (Raj Babbar) who claims to know Gauri and gives Niranjan an unsavoury take on her past. A loner as the protagonist – a man with a love for the road as well as the road less taken. Instead, there is a remarkable array of natural sounds filling in – the crunch of feet on snow, the rustle of leaves, the soughing of the breeze, and silences which accentuate the bleak and forlorn ambience of the film. The escape from the prison only leads him to another one in the form of Olivia and Jennifer’s house. There’s Karuna who wants to set up home with him, there’s a group of orphans he takes care of, there’s his friend Vimal (Abhi Bhattacharya) and his family that includes his wife and her brother Jeetu (Amit Kumar) who are being exploited by their local zamindar and moneylender. As he breathes his last, he reminisces about his life and the many people he has known and whose lives he has touched. The setting is rural (barring one sequence set in the city) and the director gives us a close look at the landscape, the ramshackle hutments, the swaying fields, the water rippling in the ponds, and even the dog that follows Ramu every step of the way. That’s the anatomy of a hit of mine. Subhodh Mukherjee, the brother of my brother-in-law, had booked Alankar for 8 weeks for his film April Fool, which everyone knew was going to be a blockbuster. But it is in the way that Kishore Kumar eschews all trappings of his comic persona to capture the little moments around the characters that the film stands out in the midst of the fluffy entertainers that characterised the era. The trauma has robbed his 10-year-old son Ramu (Amit Kumar in his maiden film appearance) of his voice.
A fans group wants that Kishore Kumar should be give the Bharat Ratna posthumously and his ancestral home in Madhya Pradesh be declared a "heritage site".
Fans across the world want it to be declared a heritage site,” Chawal said. “Kishore Kumar would always say he would like to settle down in Khandwa with his favourite meal of doodh-jalebi. A group set up to propagate the memory of legendary singer Kishore Kumar on Thursday sought that he be given the Bharat Ratna posthumously and his ancestral home in Khandwa in Madhya Pradesh be declared a “heritage site”.
भाजपा नेता रुद्रनील घोष ने दावा किया कि उन्हें और उनके कुछ सहयोगियों को टॉलीगंज ...
Actor-turned-BJP leader Rudranil Ghosh said he and other BJP leaders garlanded a picture of the late singer at Tollygunge Metro station.
“My sincere tribute to the legendary singer Kishore Kumar on his birth anniversary today! He represents the cultural strengths of the Bengali diaspora across the country and the world, and I salute the genius," she tweeted. He is our pride.