August 9 has been designated International day of World's Indigenous Peoples Day. The UN has set this day aside to 'celebrate' indigenous populations and.
Days such as these are only the West’s way of ridding itself of guilt and indirectly justifying its genocidal acts against indigenous populations. The divisions of tribals, Dalits, etc were brought in by the British. British Census officials found it difficult to differentiate the various communities from Hindus. The AIT was based on colonial interpretations of Vedic texts. The cabal also tries to paint a picture of ‘upper and privileged’ classes ‘oppressing’ the ‘natives’. Human rights organizations, missionaries, and leftist groups are a part of this cabal. Anti-India forces have co-opted with the country’s enemies to break the society from within. Besides, their right to self-determination, self-governance, and control of resources and ancestral lands have been violated over centuries”, says the United Nations.
This theme emphasises the role that women of indigenous communities play in carrying forward their traditions and cultures. History: On 9 August 1982, the first ...
UN mission in Democratic Republic of Congo, known as MONUSCO, is one of the world's biggest peacekeeping operations. On 9 August, the International Day of the World’s Indigenous Peoples is marked every year. Significant drops in the vegetable oil and cereal indexes
The celebration highlights the role of indigenous people and the importance of preserving their rights, communities and knowledge they gathered and passed down ...
Taking cognisance of the knowledge acquired by indigenous people is vital culturally and also scientifically. They protect the traditional natural resources and indigenous territories and champion the rights for indigenous peoples across the globe. Below, we look at the theme of the event this year, the history of the celebration and its significance.
International Day of the World's Indigenous Peoples is celebrated on 9 August every year in an attempt to promote their lifestyle and usage of their ...
This day aims to celebrate the languages of indigenous peoples at its core which helps build the identity of people. This day celebrated the existence of indigenous peoples who are an essential and crucial part of our planet’s history. The first International Day of the World’s Indigenous Peoples was celebrated in August 1995.
We reiterate our firm commitment towards respect, protection and fulfilment of the rights of indigenous peoples as set out in the UN Declaration on the Rights ...
The EU is also taking action for more effective rules on responsible business conduct to foster sustainable and responsible corporate behaviour, including on indigenous lands. Indigenous peoples’ identities are often closely linked to their lands and to their languages. They are critical custodians and defenders of more than 80 % of our biological diversity and have a profound understanding of sustainable land management.
World Indigenous Day 2022: तोरपा महिला कृषि बागवानी स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड की स्थापना ...
तोरपा महिला कृषि बागवानी स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड को लैंपस का लाइसेंस भी मिल गया है. अब इस एफपीओ को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की अधिप्राप्ति यानी धान की खरीद करने का भी अधिकार मिल गया है. इतना ही नहीं, तोरपा का यह एफपीओ अब एनएससी (NSC) का अधिकृत डीलर भी बन गया है. वर्ष 2022 की गर्मी के सीजन में एफपीओ ने 160 मीट्रिक टन तरबूज बेचने में किसानों की मदद की. किसानों के उत्पादों की मार्केटिंग के साथ-साथ एफपीओ उन्हें जैविक खेती के लिए भी प्रेरित कर रहा है. काफी संख्या में किसान जैविक खेती को अपना रहे हैं. उन्हें इसका फायदा भी मिल रहा है. बता दें कि 26 जनवरी 2022 को तोरपा महिला कृषि बागवानी स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड को खूंटी का सर्वश्रेष्ठ एफपीओ घोषित किया गया. खूंटी के उपायुक्त ने एफपीओ को सर्वश्रेष्ठ एफपीओ का सर्टिफिकेट भी दिया. तोरपा महिला कृषि बागवानी स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड की स्थापना हुई. दो साल के भीतर इससे 2,250 किसान जुड़ गये. इनमें से 1,600 किसान अनुसूचित जनजाति (Schedule Tribe) से हैं. वर्ष 2020-21 में एफपीओ से 40 गांव जुड़े थे. अब 44 गांव के लोग इससे जुड़ चुके हैं. एफपीओ एक किसान मार्ट का भी संचालन करता है, जहां से किसानों को खाद-बीज उपलब्ध कराये जाते हैं. वर्ष 2020-21 में इसका टर्नओवर 21 लाख रुपये था, जो एक साल बाद यानी वर्ष 2021-22 में 1.25 करोड़ रुपये हो गया. मुनाफा 300 फीसदी बढ़ गया है. पिछले वर्ष एफपीओ ने 3.20 लाख रुपये का मुनाफा कमाया था, जो इस वर्ष बढ़कर 9.80 लाख रुपये हो गया है. एफपीओ के संचालन के लिए 11 सदस्यीय बोर्ड का गठन किया गया है. अध्यक्ष, सचिव से लेकर बोर्ड के तमाम सदस्य महिलाएं हैं. दियांकेल पंचायत की एतवारी देवी अध्यक्ष हैं, मारचा पंचायत की पुष्पा तोपनो सचिव की जिम्मेवारी संभालती हैं, तो सुंदरी पंचायत कोषाध्यक्ष श्यामा देवी हैं. डोरमा पंचायत की बहमानी भेंगरा, उकड़ीमंडी पंचायत की सुशीला आइंद, अम्मा पंचायत की एलेन तोपनो, हुसिर पंचायत की अनस्तस्या तोपनो, ओकड़ा पंचायत की एम्बलेम बारला, फाटका पंचायत की आशा भेंगड़ा, उरीकेल पंचायत की पूनम तोपनो और बरकुली पंचायत की मंजुला कुजूर बोर्ड मेंबर हैं. World Indigenous Day 2022: झारखंड में उग्रवाद प्रभावित खूंटी जिला के खूंटी प्रखंड में अफीम की खेती की बुराई फैल रही थी. वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण फैला, तो लोगों की आजीविका पर संकट आन पड़ी. लोगों के व्यवसाय चौपट हो गये. खूंटी जिला का तोरपा प्रखंड भी इससे अछूता नहीं था. इस संकट की घड़ी में भी महिलाओं ने अफीम की बुराई को अपने क्षेत्र से दूर रखा. उन्होंने नयी पहल की. गैर-सरकारी संस्था प्रदान की मदद से फार्मर्स प्रोड्यूस ऑर्गेनाइजेशन (Farmers Produce Organization - FPO) की स्थापना की.
TODAY, Tuesday August 9, 2022, is the International Day of the World's Indigenous Peoples. The United Nations sets aside August 9 of every year to draw ...
Pressure should be applied to make the Nigerian government do their job of protecting indigenous peoples. When they attack defenceless communities and commit atrocities, government and the armed forces describe them as “farmers-herders clashes”. Meanwhile, government continues to look for ways to seize indigenous people’s lands to settle these violent invaders, many of whom are foreigners. Failure of the government to meet their expectations led the fighters into terrorism.
This theme emphasises the role that women of indigenous communities play in carrying forward their traditions and cultures. History: On 9 August 1982, the first ...
According to the latest data, there are about 370 to 500 million indigenous people living in 90 countries. The United Nations General Assembly on 23 December 1994 decided to observe International Day of the World’s Indigenous Peoples annually on 9 August in recognition of the inaugural session of the UN working body on Indigenous Populations. New York: International Day of the World’s Indigenous People is observed on 9 August to pay tribute to the indigenous communities of the world.
The day throws light on raising awareness of the role of indigenous people and the need to preserve their communities. The United Nations dedicated this day to ...
Every year, August 9 is celebrated as the International day of the world’s indigenous people across the globe. INTERNATIONAL DAY OF THE WORLD’S INDIGENOUS PEOPLES 2022: HISTORY INTERNATIONAL DAY OF THE WORLD’S INDIGENOUS PEOPLES 2022: THEME
On 23 December 1994, United Nations decided to celebrate this day to acknowledge the contributions and achievements of the indigenous communities.
This day is marked to protect the rights of the indigenous populations. On 23 December 1994, United Nations General Assembly decided to observe International Day of the World’s Indigenous Peoples annually on 9 August in recognition of the inaugural session of the UN working body on Indigenous Populations. On 23 December 1994, United Nations decided to celebrate this day to acknowledge the contributions and achievements of the indigenous communities.
झारखंड की राजधानी रांची का बहुबाजार संत पॉल्स स्कूल मैदान दो साल बाद गुलजार है.
परिचर्चा में हैदराबाद यूनिवर्सिटी से आए डॉ सुरेश जगनाधम ने कहा कि भाषा नहीं बोलने से भाषा का पतन होता है. इसलिए भाषा को प्रचलन में रखने के लिए दैनिक जीवन में उपयोग में लाना है. नॉर्थ इस्ट से आयी पद्मश्री पैक्ट्रेसिया मुखीम ने कहा कि भाषा हमलोगों की आत्मा है. साथ ही भाषा आपकी-मेरी पहचान है. भाषा अभिव्यक्ति का तरीका भी है. साहित्यकार वंदना टेटे ने कहा कि राज्य सरकार की उदासीनता के कारण आदिवासी भाषाओं को अब तक स्थान नहीं मिल पाया है. अपनी मातृ भाषा में लिखना-पढ़ना आज की जरूरत है. साथ ही मातृ भाषा को अपने व्यवहार में लाना समय की मांग भी है. सिक्किम से आए करमा पालजोर ने कहा कि आप जिस क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे हैं, वहां की स्थानीय भाषाओं को जानना बहुत जरूरी है. तभी आप सभी मायनों में उस क्षेत्र के मुद्दों, समस्याओं व विशेषताओं को अपने खबरों में लिख सकते हैं. पत्रकारिता के दौरान स्थानीय भाषाओं से अभिनज्ञ रहना. उस क्षेत्रों के मुद्दों की रिर्पोटिंग में बेमाइनी होगी. उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी भाषा पहचान को लेकर चिंतित नहीं है. आदिवासी गानों में मौसम का विज्ञान छिपा रहता है. किस मौसम में क्या करना है या नहीं, आदिवासी गीतों-संगीतों में देखने को मिल जाता है. विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासी आवाज समिट के रूप में हुई परिचर्चा की गयी. जतरा के पहले दिन इस परिचर्चा का आयोजन झारखंड इंडीजिनियस पीपुल्स फोरम, आदिवासी लाइव्स मेटर, ट्राइब ट्री और सिकरिट ने संयुक्त रूप से की गई. परिचर्चा में आदिवासियों के विभिन्न विषयों को जोड़ते हुए उनके डेवलपमेंट की बात कही गयी. वक्ताओं ने आदिवासियों की भाषा का जीवित रखने के साथ उनके डेवलपमेंट की बात की गयी. नेटिव जतरा के दूसरे चरण में आज रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. लाइव म्यूजिक शो आयोजित किया गया. इसके अलावा आदिवासी मुद्दों पर बनी डक्यूनमेंट्री फिल्मों की प्रस्तुति की गई. जतरा में 70 स्टॉल लगाए गए हैं. जिसमें पारंपरिक खानपान के अलावा पारंपरिक वेशभूषा, सजावट के सामान, घरेलू सामग्री सहित अन्य मनोरंजक सामग्री बिक्री की जा रही है. मंगलवार को सुबह नौ बजे से शुरू हुई है, जो देर रात नौ बजे तक चलेगी. इस नेटिव जतरा में रंगारंग सांस्कृतिक-पारंपरिक नृत्य कार्यक्रम होंगे इसके अलावा ट्राइबल फैशन शो, लाइव म्यूजिक शो सहित अन्य रोचक कार्यक्रम होने वाले हैं. परिचर्चा में हुई आदिवासियों के डेवलपमेंट की बात World Indigenous Day 2022 News: झारखंड की राजधानी रांची का बहुबाजार संत पॉल्स स्कूल मैदान दो साल बाद गुलजार है. यहां आयोजित हो रहा है दि नेटिव जतरा. यह दो दिनों का ऐसा आयोजन है, जो आदिवासियों की ओर से आदिवासियों को फोकस करते हुए आयोजित की गयी है. यह एक मेला है, जिसे झारखंड इंडिजिनश पिपुल फोरम की ओर से आयोजित किया गया है. यहां विभिन्न तरह से 70 स्टॉल लगाये गये हैं, जो आदिवासी समाज की संस्कृति, खानपान, पहनावा, गीत-संगीत और साहित्य से अवगत करा रहा है.
झारखंड में लंबे अंतराल के बाद कोई संताली फिल्म संताल परगना में बन रही है. यह फिल्म है- ...
संताली फिल्म साकाम ओड़ेच को 4k में तथा डॉल्बी डिजिटल साउंड में तैयार किया जा रहा है, ताकि यह फिल्म हर मानक पर दर्शकों की नजर में खरा उतर सके और एक अमिट छाप संताली फिल्म इंडस्ट्री में छोड़ सके. संताल परगना में पहले संताली फिल्में काफी बन रही थीं, पर हाल के दिनों में कोरोना ने इस इंडस्ट्री को बुरी तरह प्रभावित किया था, जिसके बाद फिल्म के निर्माता ज्यादातर वीडियो एलबम बनाने में दिलचस्पी दिखा रहे थे. संताली फिल्म साकाम ओड़ेच में मुख्य भूमिका में ईशा राज मुर्मू व अंजना टुडू नजर आयेंगे. सह कलाकार के तौर पर नेहा हेंब्रम, रोहिणी हांसदा, बेनेडिक हेंब्रम, माला हेंब्रम, नायकी सोरेन व आरोती हेंब्रम अपने अभिनय से विभिन्न किरदार में जान डालेंगे. लिटा मीडिया प्रोडक्शन के बैनर तले बन रही इस फिल्म का निर्देशन आइएस तुड़कूलुमान व अजीत टुडू ने किया है, जबकि शिबू सोरेन ''बारटांग'' ने इस फिल्म की पटकथा लिखी है. गीत लिखा है थॉमस हेंब्रम व आइएस तुड़कूलुमान ने. सिनेमाटोग्राफी कर रहे है लकी संतोष व बालकिशोर टुडू. World Indigenous Day 2022: झारखंड में लंबे अंतराल के बाद कोई संताली फिल्म संताल परगना में बन रही है. यह फिल्म है-साकाम ओड़ेच. इसका प्रीमियर अक्तूबर महीने के पहले सप्ताह में होने की उम्मीद जतायी जा रही है. इस फिल्म को तैयार करनेवाली प्रोडक्शन टीम में झारखंड, पश्चिम बंगाल, अरूणाचल प्रदेश एवं असम के कलाकार शामिल हैं. फिल्म में संताली संस्कृति-रीति रिवाज-परंपरा के अलावा संताली लोकनृत्य को बखूबी फिल्माया जा रहा है. विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर इस फिल्म का पोस्टर मंगलवार को लॉन्च कर दिया गया.
According to a UNESCO estimate, the indigenous population is around 500 million and it occupies 28 percent of the global land area.
According to a UNESCO estimate, the indigenous population is around 500 million and it occupies 28 percent of the global land area. Therefore, the International Day of World’s Indigenous Peoples also recognises their contributions to protecting the environment. The UN had also declared 1995-2004 as the International Decade of World’s Indigenous People.
The Joint Report of the Ecumenical Indigenous Peoples Network Reference Group and the Working Group on Climate Change of the World Council of Churches (WCC) ...
The report acknowledges and looks to Indigenous Peoples and communities for leadership. The document also mentions how the COVID-19 crisis has revealed what Indigenous Peoples have been telling the world for centuries. First, the leadership of Indigenous Peoples should be placed at the centre of current global debates on climate change.
Indigenous and tribal cultures, and communities, allow us to look back at our roots. Taking cognisance of the knowledge acquired by indigenous people is vital ...
On December 23, 1994, the UNGA, passed resolution 49/214, declaring August 9 as the International Day of the World’s Indigenous People. On this date, in 1982, the UN Working Group on Indigenous Populations had held its first meeting. International Day of the World’s Indigenous Peoples is celebrated on 09th August across the world. Taking cognisance of the knowledge acquired by indigenous people is vital culturally and also scientifically.