Milkha Singh : मिल्खा सिंह ने अपने जीवन में कुल 80 दौड़ों में हिस्सा लिया था, खास बात ये है कि ...
भारत आजाद हुआ 15 अगस्त 1947 को संयोग से यह तिथि महर्षि अरविंद का पचहतरवां जन्म दिन था और आज ...
भोपाल, ऑनलाइन डेस्क। ईंधन की महंगाई से पूरा देश परेशान है। आजादी का अमृत महोत्सव के ...
डा. कुमार विश्वास के साथ थाइलैंड में कवियों ने मनाया आजादी का अमृत महोत्सव, शान से लहराया ...
Ujjain News: मध्य प्रदेश के उज्जैन के रहने वाले अरविंद सिंह तोमर, आतंकियों से लोहा लेते हुए ...
भारत मां की रक्षा के लिए शहीद हुए अरविंद सिंह तोमर की पत्नी राका लक्ष्मी तोमर चाहती है कि उनका पुत्र आदर्श तोमर भी सेना में जाए और अपने पिता की तरह बहादुरी से देश की सेवा करें. आदर्श फिलहाल अपने परिवार का व्यवसाय संभाल रहे हैं. इसके अलावा पढ़ाई भी कर रहे हैं. आदर्श ने बताया कि जब उनके पिता शहीद हुए थे तब उनकी उम्र महज 2 साल थी. उन्होंने पिता की पूरी तरह सूरत भी नहीं देखी थी. आदर्श तोमर आज भी इस बात को लेकर गर्व करते हैं कि उनके पिता ने भारत माता के लिए सर्वस्व निछावर कर दिया. शहीद अरविंद सिंह तोमर के पिता बताते हैं कि अरविंद सिंह तोमर ने उन्हें 30 नवंबर को फोन करके बताया था कि वे छुट्टी पर आने वाले हैं. इस बात की जानकारी परिवार के लोगों को जैसे ही लगी वे काफी खुश हो गए. अरविंद सिंह तोमर की पत्नी राका लक्ष्मी तोमर से भी उन्होंने बात की थी. इसके अलावा मां मुन्नी बाई तोमर की तबीयत भी पूछी थी. इसके बाद अगले ही दिन एक दिसंबर 2001 को सुंदरवन इलाके में अरविंद सिंह तोमर को आतंकियों ने घेर लिया. आतंकियों से लोहा लेते समय अरविंद सिंह तोमर शहीद हो गए. इस बात की जानकारी जैसे ही परिवार के लोगों को लगी उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. MP News: मध्य प्रदेश के उज्जैन के गणेश नगर इलाके में रहने वाले सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी शमशेर सिंह तोमर के घर 5 नवंबर 1966 को अरविंद सिंह तोमर का जन्म हुआ. अरविंद सिंह तोमर शुरू से ही देश भक्ति से प्रेरित थे. अरविंद सिंह तोमर हायर सेकेंडरी उत्तीर्ण करने के बाद सेना ज्वाइन कर ली थी. आर्ममोरर के पद पर पदस्थ नायक अरविंद सिंह तोमर 15 साल की सर्विस पूर्ण कर चुके थे. उनके अच्छे कार्य को देखते हुए 3 साल की सर्विस बढ़ा दी गई थी. 30 नवंबर 2001 को अरविंद सिंह तोमर की आखिरी बार अपने परिवार वालों से बात हुई थी.
Azadi Ka Amrit Mahotsav: सीएम योगी आदित्यनाथ का शहर गोरखपुर भी आजादी के अमृत महोत्सव में ...
इस अवसर पर गोरखपुर के जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने कहा कि वे सभी जनपदवासियों को बधाई देते हैं. सभी सरकारी संस्थानों, निजी संस्थानों और स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस के साथ आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. वे सभी को इसके लिए बधाई देते हैं. एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने कहा कि जिन लोगों ने देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दी है, उन्हें याद किया जाए. आने वाली पीढ़ी को हम आजादी के महत्व को बताएं. डीआईजी रजनीश लांबा ने कहा कि सभी देशवासियों को अपने देश की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अधिकारियों ने अधीनस्थों को देश की रक्षा के संकल्प के साथ शपथ दिलाई. इस दौरान स्कूली बच्चों ने तिरंगे के साथ परेड निकाली. भारत माता की जयघोष से वातावरण गुंजायमान होता रहा. स्कूल-कालेजों के साथ सरकारी और निजी संस्थानों में भी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. पूरा शहर देशभक्ति के रंग में रंगा नजर आया. इस दौरान एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने बेहतर कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को प्रशस्ति पत्र और पदक देकर सम्मानित भी किया. आशा कार्यकर्ताओं ने भी नगर निगम स्थित रानी लक्ष्मी बाई पार्क में एकत्र होकर झंडारोहण किया. Watch: आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी में लहराया 220 फीट ऊंचा झंडा, विधायक बेटे ने ट्वीट कर शेयर किया वीडियो इस मौके पर रामपुर जिला में तैनात सीओ अशोक कुमार पांडेय को राष्ट्रपति द्वारा प्राप्त पुलिस सेवा मेडल प्रदान किया. इसके अलावा एडीजी की ओर से एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर को प्रशंसा चिन्ह स्वर्ण पदक, पुलिस अधीक्षक अपराध इंदु प्रभा सिंह को प्रशंसा चिन्ह रजत पदक, पुलिस अधीक्षक रेलवे डा. अवधेश सिंह को राष्ट्रपति द्वारा सराहनीय सेवा मेडल और क्षेत्राधिकारी कैम्पियरंगज को पुलिस महानिदेशक द्वारा प्रशंसा चिन्ह रजत पदक से सम्मानित किया गया. परेड ग्राउंड में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. Azadi Ka Amrit Mahotsav: आजादी के अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) में पूरा देश एक रंग में रंगा हुआ है. प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों के साथ सरकारी और निजी संस्थानों पर भी ध्वजारोहण किया गया. इस खास मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का शहर गोरखपुर (Gorakhpur) भी तिरंगामय हो गया. प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारियों ने अपने सरकारी कार्यालय पर तिरंगा फहराकर उसे सलामी दी. सरकारी और निजी संस्थानों के साथ घरों पर भी ध्वजारोहण हुआ. शहर के विभिन्न चौराहों और मार्गों के साथ वातावरण भारत माता की जय और वंदेमातरम के जयघोष के साथ देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत हो गया. गोरखपुर के एडीजी जोन अखिल कुमार, कमिश्नर रवि कुमार एनजी, जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश, डीआईजी जे. रविन्द्र गौड़, एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर, रेलवे जीएम अनुपम शर्मा ने सैयद मोदी रेलवे स्टेडियम में ध्वजारोहण किया. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन पर कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने ध्वजारोहण किया. एसएसबी ग्राउंड पर एसएसबी के डीआईजी रजनीश लांबा ने तिरंगा फहराकर अधीनस्थों को देश की रक्षा का संकल्प दिलाया. देश की रक्षा के संकल्प की शपथ
Azadi Ka Amrit Mahotsav: फतेहपुर जिला कारागार में आजादी के अमृत महोत्सव पर विभिन्न कार्यक्रम ...
जिला कारागार में ऐसे मना जश्न (फतेहपुर का जिला कारागार) Azadi Ka Amrit Mahotsav: यूपी के फतेहपुर (Fatehpur) जिला कारागार में आजादी के 76 वें स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस दौरान कैदियों ने भी आजादी के इस जश्न को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया. कारागार में आयोजित किए गए इस जश्न में मुख्य अतिथि के तौर पर डीएम भी शामिल हुईं. उन्होंने यहां पर खेलकूद सहित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने वाले कैदियों को प्रशस्ति पत्र, मेडल और प्रतीक चिन्हों का वितरण किया.
प्रदर्शनी का आयोजन केंद्रीय संचार ब्यूरो (CBC), सूचना और प्रसारण मंत्रालय और भारत सरकार ...
RSS का प्रोजेक्ट 'अखंड भारत' न तो व्यावहारिक है, न मुमकिन. लेकिन क्या हम इन विभाजनों के ...
पाकिस्तान के लिए जिन्ना ने जिस झंडे को मंजूरी दी थी, वह कम महत्वपूर्ण नहीं था. झंडे का दो-तिहाई हिस्सा हरा था. शेष एक-तिहाई एक सफेद पट्टी. जो शांति और अल्पसंख्यकों की स्वीकृति का प्रतीक थी. जिन्ना ने लाहौर के एक हिंदू कवि जगन नाथ आजाद को पाकिस्तान के राष्ट्रीय गीत लिखने का काम सौंपा. जगन नाथ आजाद ने गीत तराना-ए-पाकिस्तान लिखा, जिसे रेडियो के जरिए 14 अगस्त 1947 की रात को पाकिस्तान की स्थापना की घोषणा के तुरंत बाद ब्रॉडकास्ट किया गया था. यह गीत डेढ़ साल तक पाकिस्तान का राष्ट्रगान रहा, लेकिन जिन्ना की मृत्यु के बाद राष्ट्रगान के रूप में एक नया गीत चुना गया, जिसे कवि हफीज जालंधरी ने लिखा था. जब भारत को आजादी मिली तो दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू और स्वतंत्रता आंदोलन के अन्य नेताओं ने दिल्ली में जश्न मनाया, लेकिन उस वक्त महात्मा गांधी दिल्ली में नहीं थे. वो हिंदू-मुस्लिम दंगों की आग बुझाने के लिए कलकत्ता गए थे. 75 साल बाद जब भारत और पाकिस्तान गांधी और जिन्ना के रास्ते से काफी दूरी जा चुके हैं. आजादी का अमृत महोत्सव साथ मनाना तो दूर, इन 2 देशों के नेता पड़ौसी होने के नाते एक सामान्य बातचीत तक का रिश्ता कायम नहीं रख पा रहे हैं. बात रही दक्षिण एशियाई देशों के आपसी संबंध की, तो SARC ही एकमात्र मंच है. पाकिस्तान की स्थापना दिवस के ठीक एक दिन बाद जिन्ना ने भारत की आजादी के पहले दिन एक स्वागत समारोह की मेजबानी की. मेहमानों में हिंदू, सिख, ईसाई और पारसी समुदायों के कई प्रमुख लीडर शामिल हुए. उस दिन जिन्ना के आदेश पर एक साथ भारत और पाकिस्तान के झंडे फहराए गए थे. जिन्ना से यह अपील बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और मुस्लिम लीग के साथी नेता हुसैन शहीद सुहरावर्दी ने की थी. हुसैन शहीद सुहरावर्दी थोड़े समय के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी बने थे. भारत और पाकिस्तान द्वारा स्वतंत्रता के जश्न को साथ मनाने का विचार उतना अजीब और अवास्तविक नहीं है जितना ही हमें लगता है. दोनों देशों के लोग और नेता अब भूल गए हैं कि दोनों देशों के जन्म के समय कराची और कलकत्ता में मोहम्मद अली जिन्ना और महात्मा गांधी की उपस्थिति में, भारतीय और पाकिस्तानी झंडे एक साथ फहराए गए थे. मैं वाजपेयी की इस ऐतिहासिक यात्रा में उनके साथ था. "एक मुसलमान ने कहा: 'कृपया हमें हमारी सभी चूकों के लिए माफ करें. हम जानते हैं कि हमने अतीत में गंभीर गलती की है. लेकिन अब हम हिंदुओं के साथ भाइयों की तरह रहेंगे.' इसके साथ ही भीड़ में शामिल हिंदू और मुसलमान एक-दूसरे से गले मिल गए. एक हिंदू प्रतिनिधि ने कहा: 'हम अपने मुस्लिम भाइयों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते. हम मस्जिदों के सामने संगीत बंद कर देंगे.' कागज की एक पर्ची पर गांधीजी ने लिखा: 'मुझे उम्मीद है कि नमाज के समय मस्जिदों के आसपास संगीत नहीं रखने का निर्णय सभी को स्वीकार्य है और केवल मौके पर मौजूद लोगं के लिए नहीं बल्कि सभी हिंदुओं के लिए बाध्यकारी माना जाएगा. लीग और कांग्रेस सभी मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीकों से और बिना बल प्रयोग के हल करने के लिए सहमत हुए हैं." सुहरावर्दी ने अगस्त 1947 में कलकत्ता में सांप्रदायिक दंगों की लपटों को बुझाने के लिए महात्मा गांधी से हाथ मिलाया था. सुहारावर्दी ने सुझाव दिया कि प्रत्येक भारतीय और पाकिस्तानी देशभक्त को एक साथ भारत और पाकिस्तान के झंडे फहराने चाहिए. वाजपेयी और आडवाणी दोनों ही भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच शांति, दोस्ती और सहयोग के एक नए युग की शुरुआत करने और इसे दक्षिण एशिया में व्यापक सहयोग के लिए उदहारण बनाने के विचार से प्रेरित थे. लेकिन, मनमोहन सिंह, जो 2007 में भारत के प्रधान मंत्री थे, ने 1857 की 150वीं वर्षगांठ के मौके पर संयुक्त समारोह के लिए कोई पहल नहीं की. इतना ही दुखद रहा है कि पीएम मोदी ने भी अपनी ही पार्टी के दो संस्थापक नेताओं द्वारा दिए गए सुझाव की भावना की अवहेलना की है. उन्होंने भारत और पाकिस्तान की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ को साथ मनाने का अवसर गंवा दिया. वैसे भी इस साल 14 और 15 अगस्त भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए आजादी का अमृत महोत्सव है. ये सच है कि जिस दिन पाकिस्तान का जन्म हुआ उस दिन विभाजन के कारण भारत के दो टुकड़े हो गए. पाकिस्तान के 1971 में दो टुकड़े हो गए जब पूर्वी पाकिस्तान ने आजादी हासिल की और बांग्लादेश बन गया. ये दो विभाजन हमारे उपमहाद्वीप के लिए बड़ी त्रासदी वाले हैं. ये भी सच है कि जो हो गया, उसे बदला नहीं जा सकता. अटल बिहारी वाजपेयी ने तब एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया था कि "दो साल में, हम उस उग्र विद्रोह की 150वीं वर्षगांठ में प्रवेश करेंगे. एक साझी बगावत के हमारे संयुक्त संघर्ष की याद में शायद भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश एक साथ मिलकर उस वर्षगांठ का जश्न मना सकते हैं. हमें दूसरे देशों के अनुभव से उचित सबक सीखना होगा. सदियों के आपसी संघर्षों और युद्धों के बाद, यूरोप अब दुनिया के सबसे शक्तिशाली आर्थिक समूह के रूप में उभरने के लिए एकजुट हो रहा है."
प्रयागराज में भी स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया गया। शहर में जगह-जगह तिरंगा यात्रा ...