New Delhi: Professor Anita Bose Pfaff, daughter of Netaji Subhas Chandra Bose has said that 75 years after India was able to throw off the shackles of ...
Netaji’s daughter said nothing in his life was more important to Netaji than his country’s independence. The priest of Renkoji Temple and the Japanese government agreed to a such a test, as the documents in the annexures of the last governmental Indian investigation into Netaji’s death (the Justice Mukherjee Commission of Inquiry) show. “To those who still doubt that Netaji died on August 18, 1945, it offers a chance to obtain scientific proof that the remains kept at Renkoji Temple in Tokyo are his.
Professor Anita Bose Pfaff, daughter of Netaji Subhas Chandra Bose has said that 75 years after India was able to throw off the shackles of colonial rule.
The priest of Renkoji Temple and the Japanese government agreed to a such a test, as the documents in the annexures of the last governmental Indian investigation into Netaji's death (the Justice Mukherjee Commission of Inquiry) show. And I invite you to support my efforts to bring Netaji home," Pfaff added. "But today we have access to the originally classified inquiries of 1945 and 1946.
Anita Bose Pfaff said she is ready for an attempt to extract DNA from the remains preserved at the shrine in the Japanese capital, which she described as ...
Bose Pfaff, the only child of Netaji, has for long contended that her father died long ago and that his remains are at Renkoji Temple. “But today we have access to the originally classified inquiries of 1945 and 1946. “Another imposing monument has been erected and is being unveiled in a very prominent location in New Delhi by Prime Minister Narendra Modi on August 15th, 2022, the 75th anniversary of India’s independence,” she said.
The priest of Renkoji temple and the Japanese government agreed to a DNA test of Netaji's remains, said Anita Bose Pfaff.
To those who still doubt that Netaji died on August 18, 1945, it offers a chance to obtain scientific proof that the remains kept at Renkoji temple in Tokyo are his," she said. And I invite you to support my efforts to bring Netaji home!" They erected numerous physical and spiritual monuments for him, thus keeping his memory alive to this day, in admiration, in gratitude and even in love," she said.
On the occasion of 76th Independence Day, Prof. Anita Bose Pfaff, daughter of Netaji Subhas Chandra Bose demanded the government to bring Netaji's remains.
Since he did not live to experience the joy of freedom, it is time that at least his remains can return to Indian soil”. Today, in a press statement, Bose’s daughter said that as the technology has advanced, it is possible to conduct sophisticated DNA testing, provided DNA can be extracted from the remains, for those who still doubt that Neetaji died on August 18, 1945. It is alleged that he had died as a consequence of an airplane accident and one of the Japanese officers collected his remains and preserved them at Renkoji Temple in Tokyo.
Netaji Subhas Chandra Bose's daughter Anita Bose Pfaff has said the time has come to bring back his remains to India and suggested that DNA testing can provide ...
To those who still doubt that Netaji died on August 18, 1945, it offers a chance to obtain scientific proof that the remains kept at Renkoji temple in Tokyo are his," she said. "But today we have access to the originally classified inquiries of 1945 and 1946. They erected numerous physical and spiritual monuments for him, thus keeping his memory alive to this day, in admiration, in gratitude and even in love," she said.
New Delhi: Netaji Subhas Chandra Bose's daughter has said it is time for the remains of her father to be brought back to India and that DNA testing – if ...
And I invite you to support my efforts to bring Netaji home! The priest of Renkoji Temple and the Japanese government agreed to a such a test, as the documents in the annexures of the last governmental Indian investigation into Netaji’s death (the Justice Mukherjee Commission of Inquiry) show. Nothing in his life was more important to Netaji than his country’s independence. And I invite you to support my efforts to bring Netaji home!” “There was nothing that he longed for more than living in an India, free of foreign rule! “Nothing in his life was more important to Netaji than his country’s independence,” she said.
Read Latest Karnal News Today in Hindi - माई सिटी रिपोर्टरकरनाल। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 'तुम मुझे खून ...
Anita Bose Pfaff ने कहा कि नेता जी के जीवन में देश की आजादी से महत्वपूर्ण और कुछ भी नहीं था।
सुभाष चंद्र बोस की बेटी की गुहार, भारत लाए जाएं 'नेताजी के अवशेष'. ब्रिटिश शासन से लड़ने ...
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी प्रो. अनीता बोस फाफ ने कहा- 'नेताजी के प्रति इतना अथक ...
अनीता ने पत्र में ये भी लिखा- दरअसल, नेताजी के लिए अपने जीवन में देश की आजादी से ज्यादा कुछ महत्वपूर्ण नहीं था. वह विदेशी शासन से मुक्त भारत में रहने के अलावा और कुछ भी नहीं चाहते थे. चूंकि, उन्होंने स्वतंत्रता के आनंद का अनुभव करने के लिए नहीं जीया, इसलिए समय आ गया है कि कम से कम उनके अवशेष भारतीय जमीन पर लौट सकें. नेताजी की इकलौती संतान के रूप में मैं ये सुनिश्चित करने के लिए अपील कर रही हूं कि उनकी सबसे प्रिय इच्छा, स्वतंत्रता में अपने देश लौटने की थी. आखिरकार इस रूप में ये इच्छा पूरी होगी और उन्हें सम्मानित करने के लिए उपयुक्त समारोह किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि रेनकोजी मंदिर के पुजारी और जापानी सरकार इस तरह के परीक्षण के लिए सहमत है, जैसा कि नेताजी की मृत्यु (जस्टिस मुखर्जी जांच आयोग) की अंतिम सरकारी भारतीय जांच रिपोर्ट में दिखाया गया है. तो चलिए अंत में नेताजी को घर वापस लाने की तैयारी करते हैं. आधुनिक तकनीक में अब डीएनए टेस्ट होने लगा है. बशर्ते डीएनए को अवशेषों से निकाला जा सके. जिन लोगों को अभी भी संदेह है कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को नहीं हुई थी, उनके लिए ये वैज्ञानिक प्रमाण महत्वपूर्ण होगा. अभी लोगों में संदेह है कि टोक्यो के रेनकोजी मंदिर में रखे गए अवशेष नेताजी के नहीं हो सकते हैं. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी प्रो. अनीता बोस फाफ ने भारत सरकार से मार्मिक अपील की है. उन्होंने सरकार से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अवशेषों को जापान से वापस भारत लाने का आग्रह किया है. अनीता ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख नायकों में से एक सुभाष चंद्र बोस भी हैं. हालांकि, वे अभी तक अपनी मातृभूमि वापस नहीं लौटे हैं. ऐसे में सरकार को उनकी आखिरी ख्वाहिश देश में लौटने की रही है. उन्होंने आगे कहा कि नेताजी के प्रति इतना गहरा स्नेह और प्रेम है कि भारत में आज भी लोग ना सिर्फ उनको याद करते हैं, बल्कि कुछ लोग ये उम्मीद भी करते हैं कि 18 अगस्त 1945 को एक हवाई जहाज दुर्घटना में उनकी मृत्यु नहीं हुई थी और एक दिन वे अपनी स्वतंत्र मातृभूमि लौटकर आएंगे. लेकिन आज हमारे पास 1945 और 1946 की विस्तृत जांच की रिपोर्ट है. इससे पता चलता है कि नेताजी की मृत्यु उस दिन विदेश में हुई थी. देशवासियों में उनके समर्पण और बलिदान के लिए आज भी प्रेम है. यही वजह है कि नेताजी के जगह-जगह स्मारकों के निर्माण कराए गए और उनकी स्मृति को आज तक जीवित रखा गया है. हाल ही में एक और भव्य स्मारक बनाया गया है. भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर 15 अगस्त, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली में इसका अनावरण करने जा रहे हैं.
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की शहादत को लेकर कई तरह की कहानियां हैं. उनकी बेटी अनीता बोस का ...
अनीता ने कहा, नेताजी के लिए अपने जीवन में अपने देश की स्वतंत्रता से ज्यादा कुछ अहम नहीं था. ऐसा कुछ नहीं है, जो उन्हें विदेशी सत्ता से स्वतंत्र भारत में जीने से इतने दिन तक दूर रखा गया. नेताजी की इकलौती संतान होने के नाते मैं उनकी इस इच्छा को सुनिश्चित करने में गर्व महसूस करूंगी कि उन्हें उनके आजाद देश में लाया जाए. कम से कम हम इस स्थिति (उनके अवशेष वापस लाकर) यह सपना पूरा सकेंगे और उन्हें सम्मान देने के लिए उचित समारोह का आयोजन भी हो पाएगा. अनीता बोस ने भारत सरकार से सवाल भी पूछा. उन्होंने कहा, भारत द्वारा औपनिवेशिक सत्ता की बेड़ियों को तोड़ने के 75 साल बाद भी स्वतंत्रता संग्राम के सबसे चर्चित 'हीरोज' में से एक बोस अपनी मातृभूमि पर अब तक वापस क्यों नहीं आए हैं. उनके देशवासी उनके समर्पण और बलिदान का धन्यवाद देते हैं. वे उनके असंख्य स्मारक बना चुके हैं ताकि उनकी स्मृति हमेशा दिमाग में जीवित रह सके. ऑस्ट्रिया में जन्मी अनीता बोस आजकल जर्मनी में अर्थशास्त्री के तौर पर पहचानी जाती हैं. उन्होंने कहा, DNA टेस्टिंग से इस बात के पर्याप्त वैज्ञानिक सबूत मिलने की संभावना है कि टोक्यो के रेन्कोजी मंदिर में रखे अवशेष नेताजी के हैं. उन्होंने कहा, जापान सरकार और रेन्कोजी मंदिर के पुजारी भी DNA टेस्ट की प्रक्रिया के लिए पूरी तरह सहमत है. जापान की सहमति का सबूत भारत सरकार की तरफ से नेताजी की शहादत की जांच (जस्टिस मुखर्जी आयोग की जांच) के दस्तावेजों में भी है. नेताजी की इकलौती संतान अनीता ने कहा, मेरे पिता स्वतंत्रता का लुत्फ लेने के लिए जिंदा नहीं रहे. इसलिए यह सही समय है कि कम के कम उनके अवशेष भारतीय धरती पर वापस लाए जा सकते हैं. जर्मनी (Germany) में रह रहीं अनीता बोस ने सोमवार को कहा, सरकार को उनके (नेताजी के) अवशेष वापस भारत लाने चाहिए. साथ ही उन्होंने भारत सरकार को सलाह दी कि जिन लोगों के नेताजी की 18 अगस्त, 1945 को शहादत पर शक है, उन्हें जवाब देने के लिए अवशेषों का DNA टेस्ट कराया जा सकता है. प्रचलित मान्यता के मुताबिक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जापानी सरकार से मिलने के लिए टोक्यो (Tokyo) जाते समय ताइवान (Taiwan) की राजधानी ताईपे (Taipei) में हवाई जहाज क्रैश हो जाने के कारण शहीद हो गए थे. उनके अवशेष आज भी टोक्यो के रेन्कोजी मंदिर (Renkoji temple) में संरक्षित हैं. हालांकि नेताजी की शहादत को लेकर कई तरह की कहानियां भी प्रचलित हैं. इनमें से एक मशहूर कहानी उनके इस हादसे में बच जाने और फैजाबाद में गुमनामी बाबा (Faizabad's Gumnami Baba) के तौर पर बाकी जिंदगी बिताने को लेकर है.
Anita Bose Pfaff, daughter of Netaji Subhash Chandra Bose, has appealed to bring “home” the remains purportedly belonging to her father kept at Renkoji ...
Anita suggested carrying out DNA tests of the remains to set at rests doubts about Netaji’s death in the plane accident. One of the most prominent heroes of the independence struggle, Subhas Chandra Bose, however, has not returned to his motherland as yet,” Bose’s daughter wrote. And I invite you to support my efforts to bring Netaji home.” They show that Netaji died in a foreign country on that day. “Nothing in his life was more important to Netaji than his country’s independence. “But today we have access to the originally classified inquiries of 1945 and 1946.