पूर्व आईपीएस अधिकारी संजय पांडे से जुड़ी कंपनी, आईसेक सर्विसेज, पर नेशनल स्टॉक ...
एक अन्य चिन्हित की गयी कॉल में एक व्यक्ति ने एनएसई के रिस्क डिपार्टमेन्ट (जोखिम विभाग) के एक कर्मचारी को कॉल किया था, और उससे अनुरोध किया था कि वह अपने कंप्यूटर को ‘शेयरिंग मोड़ में साझा रखे क्योंकि वह उसमें संग्रहीत जिए गए कुछ जोखिम-संबंधी डेटा देखना चाहता था’. मीर ने सवाल किया, ‘सारा पैसा चेक के माध्यम से आया है, सभी करों का भुगतान किया जाता है और इसका पूरा हिसाब किताब किया जाता है. सूत्रों का कहना है कि 2012 तक, आईसेक ने इन कॉल्स की निगरानी के लिए कॉमटेल नामक एक कंपनी द्वारा एनएसई को प्रदान किए गए सेट-अप का उपयोग किया था. इसमें से 75 लाख रुपये का किराया पांडे को आईसेक द्वारा उस परिसर का उपयोग करने के लिए दिया गया जहां कंपनी का कार्यालय था. ईडी ने अभी तक कॉमटेल या नेक्सस में से किसी को भी अपनी जांच के सिलसिले में नहीं बुलाया है. सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इन रिपोर्टों में एनएसई में साइबर वल्नेरेबिलिटी से संबंधित कोई डेटा नहीं था, लेकिन कर्मचारियों के बीच बातचीत का विश्लेषण जरूर शामिल था. उन्होंने कहा, ‘इस अवधि के दौरान पांडे एक बहुत ही परिधीय (बाहर से निभाई जा रही) भूमिका निभाते हुए एक पर्यवेक्षक की क्षमता के साथ आईसेक के कामकाज में फिर से शामिल हो गए. मीर ने कहा, ‘फरवरी 2007 और दिसंबर 2011 के बीच, पांडे का रोजगार फिर से अनिश्चित स्थिति में था. जांच एजेंसी का कहना है, चूंकि वे (आईसेक) इसके लिए पात्र नहीं थे, इसलिए उन्होंने दो बाहरी फर्मों को पैसे दिए और इस काम के लिए अपनी जगह पर उनके नाम का इस्तेमाल किया. उन्होंने दावा किया कि कॉल्स का इंटरसेप्शन अवैध कृत्य नहीं है क्योंकि इसे ‘निगरानी से जुड़े उद्देश्यों’ के लिए किया गया था. यह उस आईसेक सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड का कार्यालय है जो एक कथित फोन-टैपिंग घोटाले – जिसमें मुंबई के एक पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का शीर्ष नेतृत्व भी शामिल है – से जुड़े विवादों के केंद्र में शामिल कंपनी है. आईसेक की वेबसाइट के अनुसार, कंपनी को 2001 में स्थापित किया गया था.
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