जोधपुर के भीतरी शहर में मेहरानगढ़ दुर्ग की तलहटी में करीब 500 साल पहले स्वयंभू प्रकट ...
तब उन्होंने दो अन्य महंतो के साथ तपोबल से अपनी आयु का समय राव गंगा को दे दी इस मंदिर के प्रति कृतज्ञ दिखाते हुए राव गंगा ने मंदिर की जिम्मेदारी महंतों को सौंप दी थी. गोस्वामी समाज के नागा संप्रदाय के साधु श्री अचलनाथ महादेव मंदिर में पूजा पाठ करते हैं. स्वयंभू शिवलिंग के उदय होने के बाद साधुओं ने पूजा शुरू की जोधपुर के तत्कालीन राव गंगा सिंह जी व उनकी पत्नी ने शिवालय का निर्माण करवाया शिवलिंग की जगह बदलने का प्रयास हुआ लेकिन कोई सफलता नहीं मिली शिवलिंग अचल रहा तब से इस अचलनाथ महादेव मंदिर का नामकरण हुआ. जो इस मंदिर में तपस्या करते थे. इस मंदिर के प्रमुख शिवलिंग पर सिर्फ नागा साधु महंत ही जल अर्पित करते हैं. इस मंदिर में आमजन शिवलिंग पर जल अर्पित नहीं करते हैं.