इसी के साथ भारतीयों के लिए भगत सिंह, शिवराम राजगुरु, सुखदेव प्रेरणा के स्रोत बने हैं।
Shaheed Diwas 2023: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में 23 मार्च, 1931 को ऐसा दिन माना जाता है, ...
फांसी का समय 12 घंटे पहले ही कर दिया गया और 23 मार्च, 1931 की शाम 7 बजे तीनों को फांसी दे दी गई. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी देने के लिए 24 मार्च, 1931 की सुबह 6 बजे का समय नियत किया गया था. एक गद्दार के कारण उनके सांडर्स की हत्या में शामिल होने की जानकारी अंग्रेज सरकार को मिल गई. इसका बदला लेने के लिए भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद आदि ने ब्रिटिश पुलिस अफसर जेम्स स्कॉट के धोखे में 17 दिसंबर, 1928 को एक अन्य अफसर जॉन सांडर्स की हत्या कर दी. आज ही के दिन 1931 में अंग्रेज हुक्मरानों ने भारतीय युवा क्रांतिकारियों भगत सिंह (Bhagat Singh), शिवराम राजगुरु (Shivram Rajguru) और सुखदेव थापर (Sukhdev Thapar) को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया था. इसी कारण भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में इस दिन को बेहद अहम माना जाता है.
हर साल 23 मार्च को देश में शहीद दिवस (Martyrs' Day) मनाया जाता है। दरअसल 23 मार्च के दिन ही तीन ...
Shaheed Diwas 2023: भारत में साल में दो बार शहीद दिवस मनाया जाता है. एक 30 जनवरी को और दूसरा 23 ...
भगत सिंह का जन्म पंजाब के लायलपुर में 28 सितम्बर 1907 को हुआ था. अगर आपके दिमाग में भी ये सवाल है, तो यहां जानिए 30 जनवरी के शहीद दिवस से 23 मार्च का शहीद दिवस कैसे अलग है. ऐसा कहा जाता है कि भगत सिंह (Bhagat Singh) की जिंदगी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा असर पड़ा था. इस दिन को बेहद दुखद दिन के रूप में याद किया जाता है. ऐसे में तमाम लोगों के मन में ये सवाल है कि आखिर शहीद दिवस साल में दो बार क्यों मनाया जाता है. एक शहीद दिवस (Martyrs Day) 30 जनवरी को मनाया जा चुका है और आज 23 मार्च को एक बार फिर से शहीद दिवस (Shaheed Diwas) मनाया जा रहा है.
Shaheed Diwas: आज 23 मार्च के दिन भारत के सपूतों शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने फांसी की ...
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी ट्वीट कर लिखा, मां भारती के अमर सपूतों, सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को उनके ‘बलिदान दिवस’ पर मैं श्रद्धापूर्वक नमन और वंदन करता हूं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस मौके पर ट्वीट किया. गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा, शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने स्वतंत्रता-आंदोलन को अपने विचारों व प्राणों से सींचकर, जिस क्रांतिभाव का संचार किया, वैसा इतिहास में विरले ही देखने को मिला. भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले भगत सिंह उनके साथी राजगुरु, सुखदेव को आज श्रद्धांजलि दी जाती है. शहीद दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री [नरेंद्र मोदी](https://www.abplive.com/topic/narendra-modi) ने तीनों के बलिदान को याद करते हुए ट्वीट कर लिखा, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को भारत हमेशा याद रखेगा.
इसके अतिरिक्त भी 30 जनवरी को महात्मा गाँधी जी की याद में Shaheed Diwas मनाया जाता है। 30 जनवरी 1948 ...
Today History: इसके इलावा भी देश और दुनिया के इतिहास में कई और महत्वपूर्ण घटनाएं 23 मार्च के ...
साल 1956 में 23 मार्च के ही दिन पाकिस्तान को दुनिया के सामने इस्लामिक गणतंत्र के रुप में पहचान मिली थी. हालांकि इसके इलावा भी देश और दुनिया के इतिहास में कई और महत्वपूर्ण घटनाएं 23 मार्च के नाम दर्ज हैं. भारत की आजादी की लड़ाई के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण घटनाओं में दर्ज है.
23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव हंसते हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। आज उनकी ...
शहीद दिवस उन लोगों को याद करने और श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने अपने देश के लिए ...
भारत 23 मार्च, 2023 को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है., जिसे शहीद दिवस भी कहा जाता है. इसलिए 23 मार्च को इन अमर शहीदों के बलिदान को याद कर शहीद दिवस मनाया जाता है. Martyr's Day 2023: भारत में 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है.